Monday, September 4, 2017

कविता - एक पतंग

वेवेदना 
कविता -
एक पतंग है
भाव गगन मे
हो उन्मुक्त
लहराती है,
मस्ती मे करती है
अठखेलियाँ बलखाती है
अनंतता का करके
संस्पर्श धुन मधुर
गुनगुनाती है,
जीवन राग सुनाती है
प्रगति पथ दिखलाती है।
डॉ जयप्रकाश तिवारीके वीर्य से 
संवेदना गर्भ मे पलकर 
भाव शब्द के रूप मे 
सुकोमल हृदय प्रदेश मे 
जन्मती है – ‘कविता’। -दना के वीर्य से 
संवेदना गर्भ मे पलकर 
भाव शब्द के रूप मे 
सुकोमल हृदय प्रदेश मे 
जन्मती है – ‘कविता’। -

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