Thursday, February 12, 2015

मृत्यु मील का पत्थर

मृत्यु मील का पत्थर है यदि कोई जीवन तूने जिया है ।

मृत्यु है इसका प्रबल प्रमाण कि तूने क्या-क्या किया है ॥

मृत्यु यदि इतिहास है तो जानो जीवन उज्ज्वल प्रकाश है ।

लाखों रोज मरते यहाँ उनका मरना जीवन का उपहास है ॥

रंग श्यामल हो या गोरा हो भस्मीभूत सभी को होना है ।

कुछ भस्म बहाये जाते हैं, कुछ सिर से लगाए जाते हैं ॥

कुछ बुत बनकर ही रहते हैं कुछ मूर्ति पत्थर के बनते हैं ।

देवत्व तक कुछ उठ जाते हैं, कुछ दानव बनकर रहते हैं ॥

पत्थर ईश्वरत्व तक उठा मगर कितनों ने सुना उसका स्वर?

थोड़ा भी समझ यादि वे जाते दानव सा जीवन क्यों बिताते?

        डॉ. जयप्रकाश तिवारी




No comments:

Post a Comment