Sunday, April 1, 2012

अँधेरी गुफा को तुम दीपक बना लो


प्रकाश  में  साया  तो  सब देखते हैं,
सफेदी  में  धब्बा तो  सब  देखते हैं.
धब्बे  में  अंकित, धवल बिम्ब देखो,
अँधेरे  में  किरण की एक बिम्ब देखो.
अँधेरी गुफा को, तुम  दीपक बना लो.
उस साए में नन्ही किरण जो समायी,
सम्हालो  उसी  को, उसी को बचा लो.
मिटेगा गम ये सारा, ख़ुशी को बचा लो.
अँधेरी  गुफा  को  तुम  दीपक  बना लो.

स्मृति की हो बाती,समर्पण का घी हो ,
जिजीविषा की अग्नि, दीपक जला लो.
लिपियों की भाषा तो सभी गुनगुनाते,
सन्नाटे के गीत - गजल को तुम गा लो.
अँधेरी गुफा  को,  तुम  दीपक  बना लो.
सुनो बधिरों के कानों से, प्रकृति के गान,
देखो सूरों के नयनों से, संस्कृति महान.
मिटेगा गम ये सारा, ख़ुशी को बचा लो.
अँधेरी गुफा  को,  तुम  दीपक  बना लो.