Thursday, December 16, 2010

स्वीकारोक्ति


मै खुले दिल से स्वीकार करता हूँ की मेरे ब्लॉग पर तीन रचनाये ऐसी हैं जो मेरे द्वारा रची नहीं हैं....वे मुझे अच्छी लगी, लोक मंगलकारी थी और भारतीयता को प्रकट कर रही थी, उन्हें मैंने अपने ब्लॉग पर भारतीयता के प्रचार-प्रसार और उससे अपने विचारों की साम्यता प्रकट करने के लिए दिया था. अब कुछ मित्रों ने मेरी इस त्रुटि की ओर ध्यान दिलाया है. यह मारा स्पष्टीकरण है,  मूल लेखको से विनम्रता पूर्वक अपना दोष स्वीकार रहा हूँ. तीनो रचनाओं का नाम निम्न लिखित है ---
!- उपनिषद् में द्वैतवाद
२-आइन्तीं टगोर परिचर्चा
३-आइन्स्टीन टगोर परिचर्चा का हिंदी अनुवाद.

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